
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर साफ संदेश दे दिया है — “भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा, चाहे कुर्सी पर बैठे हों या रिटायर हो चुके हों।”
समाज कल्याण विभाग ने चार जिला समाज कल्याण अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया है। वहीं तीन रिटायर्ड अफसरों की पेंशन से रिकवरी और स्थायी कटौती के आदेश दिए गए हैं।
भ्रष्टाचार की सफाई: चार अफसर बाहर का रास्ता
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण की निगरानी में चली जांच में आरोप पुख्ता पाए गए।
बर्खास्त अफसरों की लिस्ट कुछ ऐसी है –
- मीना श्रीवास्तव (श्रावस्ती): मुख्यमंत्री महामाया गरीब योजना में हेराफेरी, फर्जी खाते और डेटा घोटाला।
- करुणेश त्रिपाठी (मथुरा): मान्यताविहीन आईटीआई को ₹2.53 करोड़ की छात्रवृत्ति का भुगतान।
- संजय कुमार ब्यास (हापुड़): छात्रवृत्ति की रकम छात्रों के बजाय संस्थानों को ट्रांसफर — ₹3.23 करोड़ की रिकवरी तय।
- राजेश कुमार (शाहजहांपुर): वृद्धावस्था पेंशन में खाता बदलकर अपात्रों को लाभ — ₹2.52 करोड़ की वसूली होगी।
रिटायर्ड अफसरों पर भी सर्जिकल स्ट्राइक
योगी सरकार ने कहा — “रिटायरमेंट भ्रष्टाचार की ढाल नहीं है।”
- श्रीभगवान (औरैया): ₹33 लाख में से ₹20 लाख की वसूली और पेंशन में 10% स्थायी कटौती।
- विनोद शंकर तिवारी: ₹1.96 करोड़ की रिकवरी, 50% पेंशन कट।
- उमा शंकर शर्मा: ₹88.94 लाख की वसूली और 50% पेंशन कटौती तय।
योगी का संदेश साफ – ‘ईमानदार काम करो, नहीं तो फाइल खुलेगी!’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह अब तक की सबसे बड़ी एंटी-करप्शन ड्राइव मानी जा रही है। असीम अरुण ने कहा, “भ्रष्टाचार पर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति जारी रहेगी, अगली लिस्ट भी तैयार है।”

सियासी संदेश भी साफ है:
अब “माय लॉर्ड, मुझसे गलती हो गई” कहने का वक्त नहीं मिलेगा। यूपी में फाइलें खुल रही हैं और पेंशन भी कट रही है।
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